ओम श्रीगुरु कृष्ण हरे, प्रभु श्रीगुरु कृष्ण हरे।
मायातीत महेश्वर, मन वच बुद्धि परे॥
आदि, अनादि, अगोचर, अविचल अविनाशी।
अतुल, अनंत, अनामय, अमित शक्ति राशी॥
अमल, अकल, अज, अक्षय, अव्यय, अविकारी।
सत, चित, आनंद, सुंदर, शिव सत्ताधारी॥
विधि, हरि, शंकर, गणपति, सूर्य शक्ति रूपा।
अखिल जगत सचराचर, तुमही विश्वरूपा॥
माता, पिता, पितामह, स्वामी सुहृद भर्ता।
विश्वजनक, जगपालक, रक्षक संहर्ता॥
साक्षी, शरण, सखाप्रिय, प्रियतम, पूर्ण प्रभो।
केवल, काल, कलानिधि, कालातीत विभो॥
राम-कृष्ण करुणामय, प्रेमामृत सागर।
मनमोहन मुरलीधर, नित-नव नटनागर॥
Wednesday, September 24, 2008
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